भारतीय संस्कृति बचाने के उपाय (भाग :- 3)
(भाग 1 और 2 कि लिंक लेख के अंत मे है
कृषि
भारत देश प्राचीनकाल से ही कृषि प्रधान देश रहा है। मात्र 100 वर्ष पहले तक देश में अनगिनत बगीचे और भारतीय वृक्ष हुआ करते थे लेकिन अब खेत और बगीचे खत्म होते जा रहे हैं। विदेशी पौधों की संख्या के बढ़ने के साथ ही भारतीय पेड़-पौधे भी लुप्त होते जा रहे हैं। सब्जियों में भी अब देसी स्वाद नहीं रहा।
परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपनाए जाने के दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
परंपरागत खेती खत्म होगी तो निश्चित ही असली वस्तुओं के मिलने की कोई गारंटी नहीं। खेती के खत्म होने से परंपरागत जलस्रोत भी सूख जाएंगे। पानी पर कब्जा होने ही लगा है। तब आप सोच सकते हैं कि भाषा, भूषा, भोजन के साथ जल भी विदेश से सप्लाई होगा।
*कैसे बचाएं खेती*
खेत की भूमि पर प्लॉट, मकान आदि बनाना बंद कर दिया जाए। खेतों में डाले जाने वाले खाद्य को परंपरागत भारतीय तरीके से ही बनाया जाए। खेतों के पास में एक कुआं, तालाब, खाल या बावड़ी निर्मित की जाए। धरती का वॉटर लेबल नलकूपों के कारण निरंतर नीचे गिरता जा रहा है। नलकूप (हैंडपंप या बोरिंग) को बंद कर पानी के परंपरागत स्रोतों को जीवित किया जाए।
शहर की हर कॉलोनी के बगीचों में कुछ पेड़-पौधों का उगाना अनिवार्य कर देना चाहिए।
*पशु और पक्षी*
देश में विदेशी कुत्तों की तादाद बढ़ गई है और देशी कुत्ते गली-मोहल्लों में मारे-मारे फिरते हैं। गधे घटते जा रहे हैं। घोड़े अब बहुत ही कम बचे हैं। हाथियों की तादाद तो कुछ हजारों में ही रह गई है। गाय की हालत भी हाथियों जैसी ही है। बैल तो अब आपको गांवों में ही देखने को मिलेंगे।
अब यदि हम जंगली जानवरों की बात करें तो सिंह, शेर, चीता, तेंदुआ, बाघ, लोमड़ी,आदि सैकड़ों ऐसे पशु हैं, जो अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। पक्षियों में ऐसे पक्षी हैं जिन्हें अब देखना अब दुर्लभ हो गया है।
जलचरों में भी यही हाल है।
*कैसे बचाएं*
बोलकर, लिखकर, जंगल में घूमकर, चिड़ियाघर में जाकर इन पशु-पक्षियों के पक्ष में आवाज उठाएं। अपने घर की छत, गैलरी आदि में पक्षियों के लिए जल और अन्य की व्यवस्था जरूर करें। मछली, तोता, चिड़िया, कुत्ता और बिल्ली पालने वालों को समझाएं कि आप जो कर रहे हैं, वह गलत है। गाय पालने वालों से कहें कि आप इसके लिए उचित व्यवस्था करें। सड़क पर घूम रहे कुत्तों को रोटी जरूर खिलाएं।
*भारतीय संगीत*
भारतीय शास्त्रीय और लोकनृत्य एवं संगीत को मुगलकाल में बदला गया। मुगलों ने प्राचीन भारतीय नृत्य और संगीत को अरबी और फारसी शैली में ढालकर उसे नष्ट करने का कार्य किया।
*कैसे बचाएं*
अपने बच्चों को बॉलीवुड नहीं, भारतीय शास्त्रीय और लोकनृत्य एवं संगीत की शिक्षा दें।इसकी सौ प्रतिशत गारंटी है कि भारतीय नृत्य एवं संगीत से आपके बच्चों के व्यक्तित्व और सेहत का निखार होगा, साथ ही उनका ध्यान इधर-उधर नहीं भटकेगा जिसको लेकर माता-पिता अक्सर चिंतित रहते हैं। भारतीय नृत्य और संगीत का जहां भी कोई कार्यक्रम आयोजित हो रहा है वहां उसे देखने जरूर जाएं।
भाग:- ०१
https://prashasksamiti.blogspot.com/2021/08/blog-post_13.html
भाग:- ०२
https://prashasksamiti.blogspot.com/2021/08/blog-post_15.html
🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteदूसरे देश की भाषा अंग्रेजी मे हस्ताक्षर करने वाले टीचरों को सरेआम १४ मिनट मुर्गा बनाओ तो मात्र ९५ दिनों में सारा देश सुधर जाएगा व सब लोग कुसंस्कारी इंडियन से संस्कारी भारतीय बन जाएंगे।
ReplyDelete🌹फ़टी जीन्स🎩
🌹गिरते संस्कार🎩
🌹बड़ों का सम्मान न🎩
🌹ऑनलाइन मुजरा करती लड़कियाँ🎩
वन्दे भारतम आध्यात्मिक केन्द्रम
नीमनगर भारत
८२४९४९१३२१
समाज को बिगाड़ने में सबसे ज्यादा फिल्म बनाने वाले का रोल है। देश की मुल नसल बचें और युवाओं को फिल्मो और टीवी बिगाड़ रहें है।
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