भारतीय संस्कृति बचाने के उपाय (भाग-०२) (भाग ०१ 14 अगस्त को प्रकाशित किया गया था ...उससे आगे..)
*भारतीय नृत्य*
लोकनृत्य-गान में कई राज छुपे हुए हैं। इनका संरक्षण किए जाने की जरूरत है। प्राचीन भारतीय नृत्य शैली से ही दुनियाभर की नृत्य शैलियां विकसित हुई हैं। भारतीय नृत्य ध्यान की एक विधि के समान कार्य करता है। इससे योग भी जुड़ा हुआ है।भारत की नृत्य शैली की धूम सिर्फ भारत ही में नहीं, अपितु पूरे विश्व में आसानी से देखने को मिल जाती है।
*कैसे बचाएं*
अपने बच्चों को बॉलीवुड नहीं, भारतीय शास्त्रीय और लोकनृत्य की शिक्षा दें।। इसकी 100 प्रतिशत गारंटी है कि भारतीय नृत्य से आपके बच्चों के व्यक्तित्व और सेहत का निखार होगा, साथ ही उनका ध्यान इधर-उधर नहीं भटकेगा जिसको लेकर माता-पिता अक्सर चिंतित रहते हैं। भारतीय नृत्य का जहां भी कोई कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, वहां उसे देखने जरूर जाएं।
*भारतीय कला*
भारतीय कलाओं में स्थापत्य कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला, काश्तकारी, बुनाई, मिट्टी के बर्तन बनाना, बांस की टोकरियां, चटाई आदि बनाना, रंगाई, दस्तकारी, कढ़ाई, मेहंदी कला, तरकशी कला, मथैथरणा, मांडना, भित्तिचित्रण, पॉटरी, मीनाकारी, धातुशिल्प, फड़ चित्रांकन, काष्ठकला आदि अनेक कलाओं का जन्म और विकास भारत में हुआ
देशभर में स्थापत्य कला के एक से एक नमूने बिखरे पड़े हैं जिन्हें संरक्षित किए जाने की जरूरत है। अजंता-एलोरा के मंदिर हो या दक्षिण भारत के मंदिर हों, उन्हें देखकर आप दांतों तले अंगुली दबा लेंगे।
*कैसे बचाएं*
अपने घर को वास्तु के अनुसार ही बनवाएं और उसके अंदर जितनी भी वस्तुएं रखें वे सभी भारतीय हस्तशिल्प वास्तुकला के अनुसार ही रखें। इसके अलावा जब भी मंदिर बनवाएं तो वास्तु के अनुसार भव्य बनवाएं। उस मंदिर की ऊंचाई कम से कम 51 फुट की होना चाहिए। यदि आपकी कॉलोनी या टाउनशिप में छोटा मंदिर है, तो यह मंदिर नहीं, महज आपकी संतुष्टि का एक स्थानभर है। मंदिर में भीतर गुंबद ऐसा होना चाहिए जिसमें आवाज गूंजती हो और जिसके मुख्य गुंबद में कम से कम 50 लोग एकसाथ बैठ सकते हो और जिसके सभा मंडप में कम से कम 500 लोग बैठ सकते हों।
*खेल*
ओलिंपिक इतिहास के पहले भारत में भी ओलंपिक होता था। ओलंपिक के अधिकतर खेल भारत में आविष्कृत हैं। जो शारीरिक क्षमता और कौशल को प्रदर्शित करते थे।
हालांकि वर्तमान में इन सभी का अंग्रेजीकरण कर दिया गया है।
*कैसे बचाएं*
प्रत्येक खेल किसी न किसी त्योहार से जुड़ा हुआ है उसे उस दिन खेलना ही चाहिए, जैसे संक्रांति के दिन गिल्ली-डंडा खेलना और पतंग उड़ाने का प्रचलन है। अपने बच्चों को उक्त सभी खेलों के बारे में बताएं और उन्हें उसे कुछ खेलों को खेलने के लिए प्रेरित भी करें।
*लोक ज्ञान और परंपरागत नुस्खे :*
लोक ज्ञान का अर्थ ऐसा ज्ञान जो आपको किसी भी प्रकार की सुविधा के बगैर जीना सिखाता है, जैसे घड़ी नहीं है फिर भी आप समय को अच्छे से जान सकते हैं- दिन में एक डंडी खड़ी करने और रात में तारों को देखकर। दूसरा आप इस ज्ञान के आधार पर यह जान सकते हैं कि कब बारिश होगी और कितनी तेज या धीमे होगी। लोक ज्ञान के अलावा होते हैं परंपरागत नुस्खे। इसमें सेहत और समझ दोनों ही प्रकार के नुस्खे होते हैं।
पहले के लोगों को इसका बहुत ज्ञान होता था लेकिन वर्तमान पीढ़ी यह ज्ञान प्राप्त नहीं करती, क्योंकि अब उनकी दादी और नानी या दादा और नाना भी वैसे नहीं रहे, जो अपने अनुभव और ज्ञान को अपनी पीढ़ियों में हस्तांतरित करें।
हालांकि 'गूगल बाबा' आजकल सब कुछ बता देता है फिर भी कुछ ज्ञान ऐसा होता है, जो कोई नहीं बता सकता। यह ज्ञान हमें परंपरा और अनुभव से ही प्राप्त होता है।
*कैसे बचाएं*
आप गांव के लोगों से बात करें। इस संबंध में किताबें खरीदकर पढ़ें और उसके ज्ञान को अपने बच्चों को भी बताएं। अधिक से अधिक घरेलू नुस्खे अपनाएं और उस अनुसार ही घर में चीजें रखें। यह घरेलू नस्खे हजारों सालों के अनुभव का परिणाम है।
*भारतीय प्राचीन ग्रंथ*
यदि हम धार्मिक ग्रंथों को छोड़ भी दें तो ऐसी बहुत-सी किताबें या ग्रंथ हैं, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अंग हैं, जैसे चीन, अरब या अमेरिका की प्राचीन पुस्तकें और साहित्य आज भी प्रचलन में हैं उसी तरह हमारे साहित्य को भी बचाने की जरूरत है। उसे बचाने का सबसे अच्छा तरीका सिर्फ यही है कि उसे खरीदकर पढ़ें।
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