योद्धाओं का वर्गीकरण

1

 


प्राचीन काल के योद्धाओं का युद्ध कौशल के आधार पर उनके स्तर का वर्गीकरण


हम सभी ने प्राचीन काल एवम् इतिहास और उनकी युद्ध गाथाओं में योद्धाओं के कौशल स्तर के विषय में अवश्य पढ़ा होगा और सबसे आम शब्द जो इन धर्म ग्रंथों, पुस्तकों में देखने की मिलता है वह है "महारथी"


महारथी शब्द का प्रयोग हम जितनी सरलता से करते हैं वास्तविकता में उसकी श्रेणी उससे कई सौ गुना बड़ी होती थी और कुछ चुनिंदा योद्धा हीं महारथी के स्तर प्राप्त किया करते थे 


आइये यहाँ जानते हैं की योद्धाओं कि इन “अति उच्च श्रेणियों” को पाने के लिए किन योग्यताओं का होना आवश्यक था।


प्राचीन काल के प्रमुख योद्धाओं को मुख्यतः 6 श्रेणियों में बांटा गया है,


1_अर्धरथी अर्धरथी एक प्रशिक्षित योद्धा होता था जो अस्त्र-शस्त्रों के सञ्चालन में निपुण होता था। एक अर्धरथी अकेले 2500 सशस्त्र योद्धाओं का सामना कर सकता था।


रामायण और महाभारत के विषय में कहें तो इन युद्धों में असंख्य अर्धरथियों ने हिस्सा लिया था।


2_रथी एक ऐसा योद्धा जो सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र के सञ्चालन में निपुण हो तथा 2 अर्धरथियों, अर्थात 5000 सशस्त्र योद्धाओं का सामना एक साथ कर सके।


 रामायण रामायण में कई रथियों ने हिस्सा लिया जिनका बहुत विस्तृत वर्णण नहीं मिलता है। राक्षसों में खर,दूषण,तड़का, मारीच, सुबाहु

वातापि आदि रथी थे। वानरों में गंधमादन, मैन्द एवं द्विविन्द, हनुमान के पुत्र मकरध्वज, को रथी माना जाता था।


महाभारत सभी कौरव, युधिष्ठिर, नकुल, सहदेव, शकुनि, उसका पुत्र उलूक, उपपांडव (प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकर्मा, शतानीक एवं श्रुतसेन), विराट, उत्तर, शिशुपाल पुत्र धृष्टकेतु

जयद्रथ, शिखंडी, सुदक्षिण, शंख, श्वेत, इरावान, कर्ण के सभी पुत्र, सुशर्मा, उत्तमौजा, युधामन्यु, जरासंध पुत्र सहदेव, बाह्लीक पुत्र सोमदत्त, कंस, अलम्बुष, अलायुध, बृहदबल आदि की गिनती रथी के रूप में होती थी। दुर्योधन को 8 रथियों के बराबर माना गया है।


3-अतिरथी एक ऐसा योद्धा जो सामान्य अस्त्रों के साथ अनेक दिव्यास्त्रों का भी ज्ञाता हो तथा युद्ध में 12 रथियों, अर्थात 60000 सशस्त्र योद्धाओं का सामना एक साथ कर सकता हो। 


 रामायण लव, कुश, अकम्पन्न, विभीषण, देवान्तक, नरान्तक, महिरावण, पुष्कल, काल में अंगद, नल, नील, प्रहस्त,अकम्पन, भरत पुत्र पुष्कल, विभीषण, त्रिशिरा, अक्षयकुमार, हनुमान के पिता केसरी अदि अतिरथी थे।


महाभारत भीम, जरासंध, धृष्टधुम्न, कृतवर्मा, शल्य, भूरिश्रवा, द्रुपद, घटोत्कच, सात्यिकी, कीचक, बाह्लीक, साम्ब, प्रद्युम्न, कृपाचार्य, शिशुपाल, रुक्मी, सात्यिकी, बाह्लीक, नरकासुर,प्रद्युम्न, कीचक आदि अतिरथी थे।


4- महारथी ये संभवतः सबसे प्रसिद्ध पदवी थी और जो भी योद्धा इस पदवी को प्राप्त करते थे वे पूरे जगत में सम्मानित और प्रसिद्ध होते थे। महारथी एक ऐसा योद्धा होता था जो सभी ज्ञात अस्त्र शस्त्रों और कई दिव्यास्त्रों को चलने में समर्थ होता था।युद्ध में महारथी 12 अतिरथियों अथवा 720000 सशस्त्र योद्धाओं का सामना कर सकता था। इसके अतिरिक्त जिस भी योद्धा के पास ब्रह्मास्त्र का ज्ञान होता था (जो गिने चुने ही थे) वो सीधे महारथी की श्रेणी में आ जाते थे। 


रामायण भरत, शत्रुघ्न, अंगद, सुग्रीव, अतिकाय, कुम्भकर्ण, प्रहस्त, जामवंत आदि महारथी की श्रेणी में आते हैं। रावण, बाली एवं कर्त्यवीर्य अर्जुन को एक से अधिक महारथियों के बराबर माना गया है।


महाभारत अभिमन्यु, बभ्रुवाहन, अश्वत्थामा, भगदत्त, बर्बरीक आदि महारथी थे। भीष्म, द्रोण, कर्ण, अर्जुन एवं बलराम को एक से अधिक महारथियों के बराबर माना गया है।कहीं-कहीं अर्जुन को पाशुपतास्त्र प्राप्त करने के कारण “अतिमहारथी” भी कहा जाता है


5-अतिमहारथी इस श्रेणी के योद्धा दुर्लभ होते थे।अतिमहारथी उसे कहा जाता था जो 12 महारथी श्रेणी के योद्धाओं अर्थात 8640000 सशस्त्र योद्धाओं का सामना अकेले कर सकता हो साथ ही सभी प्रकार के दैवीय शक्तियों का ज्ञाता हो। 


महाभारत महाभारत काल में केवल भगवान श्रीकृष्ण को अतिमहारथी माना जाता है। 


रामायण रामायण में भगवान श्रीराम अतिमहारथी थे।उनके अतिरिक्त मेघनाद को अतिमहारथी माना जाता है क्यूंकि केवल वही था जिसके पास तीनों महास्त्र - ब्रम्हास्त्र, नारायणास्त्र एवं पाशुपतास्त्र थे। पाशुपतास्त्र को छोड़ कर लक्ष्मण को भी समस्त दिव्यास्त्रों का ज्ञान था अतः कुछ जगह उन्हें भी इस श्रेणी में रखा जाता है।


इसके अतिरिक्त भगवान परशुराम और महावीर हनुमान का भी वर्णन कई स्थान पर अतिमहारथी के रूप में किया गया है।


भगवान विष्णु के अवतार विशेष कर वाराह एवं नृसिंह को भी अतिमहारथी की श्रेणी में रखा जाता है। कुछ देवताओं जैसे कार्तिकेय, गणेश तथा वैदिक युग के ग्रंथों में इंद्र, सूर्य एवं वरुण देव को भी अतिमहारथी माना जाता है।आदिशक्ति की दस महाविद्याओं, नवदुर्गा एवं रुद्रावतार, विशेषकर वीरभद्र और भैरव को भी अतिमहारथी माना जाता है।


6 महामहारथी ये किसी भी प्रकार के योद्धा का उच्चतम स्तर माना जाता है। महामहारथी उसे कहा जाता है जो 24 अतिमहारथियों अर्थात 207360000 सशस्त्र योद्धाओं का सामना कर सकता हो। इसके साथ ही समस्त प्रकार की दैवीय एवं महाशक्तियाँ उसके अधीन हो। 

इन्हे परास्त नहीं किया जा सकता। 


आज तक पृथ्वी पर कोई भी "योद्धा" इस स्तर पर नहीं पहुँचा है। इसका एक कारण ये भी है कि अभी तक 24 अतिमहारथी एक काल में तो क्या पूरे कल्प में भी नहीं हुए हैं। केवल त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु एवं रूद्र) एवं आदिशक्ति को ही इतना शक्तिशाली माना जाता है 


जय शिव शंभू 🙏🏻🔱

Post a Comment

1Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. बहुत महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी

    ReplyDelete
Post a Comment

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !