अफगानिस्तान में फैली अफरातफरी के पीछे कोन?

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तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है. अफगानिस्तान में तालिबान इतनी तेजी से अपना नियंत्रण स्थापित कर लेगा, ये शायद ही किसी ने सोचा होगा. अधिकतर ... 

गवर्नरों ने बिना जंग के ही तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया. तालिबान के काबुल पहुंचते ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी मुल्क छोड़ दिया. अफगानिस्तान की काबुल में अफरा-तफरी का माहौल है. काबुल से उड़ने वाले सभी विमान भरे हुए हैं. लोग काबुल से भागकर पड़ोसी देश जाना चाहते हैं, जहां भी जगह मिले.

भारत समेत कई देश कह चुके हैं कि वो अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं देंगे.अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से दुनिया के देश चिंतित हैं लेकिन माना जा रहा है कि इससे चीन और पाकिस्तान उतने असहज नहीं हैं. चीन ने तो इस बात के भी संकेत पहले ही दे दिए थे कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आता है तो वह मान्यता देने के लिए तैयार है।

चीन की नजरें अब अफगानिस्तान पर हैं. चीन के लिए मध्य एशिया तक पहुंचने का अफगानिस्तान सबसे बेहतर जरिया है.चीन बेल्ट एंड रोड एनीशिएटिव के तहत अफगानिस्तान में निवेश करने की तैयारी में है. पाकिस्तान में चीन की सबसे महत्वाकांक्षी चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी की सुरक्षा के लिए भी तालिबान का साथ चीन के लिए अहम है. 

चीन ने इसी महीने तालिबान नेताओं के साथ मुलाकात की है. तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन पहले ही कह चुके हैं कि अगर चीन अफगानिस्तान में निवेश करता है तो तालिबान उसकी सुरक्षा की गारंटी देगा.

सुहैल ने कहा, 'हम कई बार चीन गए हैं और उनके साथ हमारे अच्छे संबंध हैं. जिसका हम अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के लिए स्वागत करते हैं.

चीन को अफगानिस्तान में अपने मकसद को हासिल करने में पाकिस्तान की भी मदद मिल रही है.  इससे उसे मध्य एशिया में बढ़त मिलने में मदद भी मिल जाएगी. चीन पाकिस्तान की मदद से अफगानिस्तान में अपने मकसद को हासिल करना चाहता है. 


क्या ये सब एक साजिश की तहत हो रहा है या और कोई मकसद??


🙏 *खोडाभाई_भगवा ध्वज रक्षक समूह सदस्य🚩🚩🚩*

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