भारतीय संस्कृति बचाने के... उपाय (भाग:- ०१)

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 भारतीय संस्कृति बचाने के... उपाय


जब हम भारतीय संस्कृति की बात करते हैं तो उसका हिस्सा सभी धर्म, जाति, प्रांत और समाज के लोग हैं। अत: संस्कृति को बचाना उन सभी लोगों की जिम्मेदारी है, जो खुद को भारतीय मानते हैं। आओ जानते हैं कि किस तरह बाजारवाद, साम्यवाद और आधुनिकता के बुरे प्रचलन के दौर में हम अपनी संस्कृति को बचाएं।


_भाषा_

भाषा संस्कृति का अहम हिस्सा होती है। भारत की सभी भाषाएं और बोलियां संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। लेकिन वर्तमान पीढ़ी आधुनिकता या धार्मिक कट्टरता के चलते यह छोड़ती जा रही है।


भारतीयों को उनकी भाषा से दूर करने के लिए मुगलों और अंग्रेजों ने अपनी-अपनी भाषाओं को लादा जिसके चलते भारत की बहुत-सी भाषाएं अपना अस्तित्व खो चुकी हैं और कुछ खोने के लिए तैयार हैं। 


कैसे बचाएं भाषा :

1. खुद बोलें और अपने बच्चों को अधिक से अधिक अपनी भाषा को सिखाएं। आप जिस भी क्षेत्र में रहते हैं वहां की भाषा के मुहावरे, लोकोक्ति का जमकर प्रयोग करें। कोई भी भाषा खतरे से बाहर है यदि सारी पीढ़ियां उसका प्रयोग कर रही हैं और किसी और भाषा का दखल नहीं है तो। 


2. अखबार, टीवी, रेडियो, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया और तमाम संचार माध्यमों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी भाषा का जमकर और शुद्ध रूप में उपयोग करें।


3. बॉलीवुड के कारण भारतीय भाषाओं का बहुत प्रचार-प्रसार हुआ लेकिन अब यही बॉलीवुड भारत की भाषा और संस्कृति को तेजी से नष्ट करने में लगा है। सरकार को चाहिए कि वह सिनेमा जगत पर शिकंजा कसे। कोई तो मानक तय होना ही चाहिए।

 

4. स्कूल और कॉलेज में अब हिन्दी को बस प्राथमिक स्तर पर ही पढ़ाया जाता है। स्कूलों और कॉलेज में हिन्दी को पढ़ाया जाना अनिवार्य करने से पहले कंपनियों और कार्यालयों में भारतीय भाषा के प्रचलन को बढ़ाना जरूरी है।


इसी तरह यदि हम भारत में प्रांतीय भाषाओं में अंग्रेजी और फारसी भाषा के शब्दों का प्रचलन बढ़ गया है। हिन्दी तो लगभग अंग्रेजी होती जा रही है। यदि हिन्दी मरी तो हिन्दी की बोलियां स्वत: ही मर जाएंगी।


भूषा

 आपका पहनावा आपके देश की पहचान होता है। आजकल परंपरागत पोशाक पहनने का प्रचलन सिर्फ शादी-विवाह में ही सिमटकर रह गया है। त्योहारों में भी अब कम ही देखने को मिलता है। धोती-कुर्ता, पगड़ी, साफा या टोपी तो अब कोई नहीं पहनता।  सूती या खादी का प्रचलन कम ही है। खड़ाऊ तो अब संत लोगों के पैरों में ही नजर आती है


यदि हम महिलाओं के पहनावे की बात करें तो महिलाओं का पहनावा तो बहुत तेजी से बदलता जा रहा है। अब विवाहित महिलाएं साड़ी बस मौके-झोके पर ही पहनती हैं।


कैसे बचाएं भूषा

 जरूरी है कि आप कम से अपने त्योहार, मांगलिक कार्य, विवाह, समाज की बैठक, अन्य समारोह आदि में भारतीय परिधान पहनकर ही जाएं। अपने बच्चों के लिए भी भारतीय परिधान सिलवाएं या बाजार से खरीदकर लाएं। यदि आप ऐसा करेंगे तो भारतीय परिधानों की मांग बढ़ेगी जिसके चलते आप अपनी भूषा को बचा पाएंगे।


भोजन

 संस्कृति का तीसरा अहम हिस्सा होता है भोजन। आप पिज्जा, बर्गर, चाइनीज खाकर और पेप्सी कोला पीकर खुद को आधुनिक तो घोषित कर सकते हैं, लेकिन आप अनजाने में ही सही, लेकिन अपने स्वास्थ् और संस्कृति को धोखा दे रहे हैं। खाने में देशी स्वाद जरूर होना चाहिए। देशी खान और देशी मसाले में जो स्वाद और सेहत का राज छुपा है वह डिब्बाबंद में नहीं।


कैसे बचाएं

 भारतीय व्यंजन कौन-कौन से होते हैं, इस संबंध में आप बाजार से किताबें खरीदें या इंटरनेट पर इस संबंध में विस्तृत जानकारी हासिल कर उसे घर में बनाएं। खुद खाएं और दूसरों को भी खिलाएं। ऐसा करते रहने से बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। देसी मसाले खरीदें और खुद उसे पिसवाकर कम से कम 6 माह का स्टॉक करेंगे तो आप नकली मसालों से बचे रहेंगे।


Continue....


खोडाभाई:- प्रशासक समिति

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