15 अगस्त पर कुछ विलुप्त जानकारी

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 भारत की चार प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी जिन्हें आजादी के दौरान पर्याप्त श्रेय नही मिला

आज हम बात करेंगे उन महिला महिला क्रांतिकारी के बारे में जिन्होंने ब्रिटिश शासन की लाठियों और बंदूकें के सामने खड़े होने से पहले एक बार भी नही सोचा, अगर उन वीरांगनाओं को उचित श्रेय नहीं मिलता है तो यह बताता है कि हम कितने स्वार्थी और लापरवाह है. अगस्त के इस महीने में जब हम अपने वीरों को याद करते हैं, तो हम आपको ऐसी महिलाओं के बारे में बता रहा है जिनका नाम इतिहास में नही लिया जाता है।

*कनकलता बरुआ– असम* 

 17 साल की उम्र से वह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होना चाहती थी लेकिन वह नाबालिग थी इसलिये वह आजाद हिंद फौज में शामिल नहीं हो सकी.उन्होंने हार नही मानी और मृत्यु बहिनी में शामिल हो गई, वह असम से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू की गई स्वतंत्रता पहल के लिए “करो या मर” अभियान में शामिल हो गईं. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान असम में भारतीय झंडा फेहराने के लिये आगे बढ़ते हुये उनकी मृत्यु हो गई.

*मातंगिनी हाज़रा–* 

 मातंगिनी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी, वह एक कठोर असहयोग आंदोलन की समर्थक थी. 73 वर्ष की उम्र में, वह भारत छोड़ों आदोंलन की में सक्रिय भागीदार थी और उन्होंने 6000 समर्थकों के जुलूस की अगुवाई की जिसमें अधिकतर महिलाएं थी. उसी दौरान तमिलुक पुलिस स्टेशन के अधिहरण के वक़्त उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।

*बेगम हजरत अली–*

 अवध के वाजिद अली शाह की पत्नी, बेगम हजरत अली एक शक्तिशाली महिला थीं. उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़ी ,जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्ज़ा कर लिया और उनके पति को निर्वासन में डाल दिया. उन्होंने अंग्रेजों से अवध को पुनः प्राप्त करने के लिए बहादुरी से लड़ी और अपने बेटे को सिंहासन पर बैठा दिया. अवध के लोगों ने उन्हें पूरी तरह से समर्थन दिया और उन्होंने लोगों को प्रेरित किया और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का आग्रह किया.

*भोगेश्वरी फुकनानी–*

 जिनका जन्म नौगांव में हुआ था. भारत छोड़ो आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों से कई महिलाओं को प्रेरित किया और उनमें से एक बड़ा नाम भोगेश्वरी फुकनानी का था. जब क्रांतिकारियों ने बेरहमपुर में अपने कार्यालयों का नियंत्रण वापस ले लिया था, तब उस माहौल में पुलिस ने छापा मार कर आतंक फैला दिया था. उसी समय क्रांतिकारियों की भीड़ ने मार्च करते हुये “वंदे मातरम्” के नारे लगाये. उस भीड़ का नेतृत्व भोगेश्वरी ने किया था. उन्होंने उस वक़्त मौजूद कप्तान को मारा जो क्रांतिकारियों पर हमला करने आए थे. बाद में कप्तान ने उन्हें गोली मार दी और वह जख़्मी हालात में ही चल बसी.


 *खोडाभाई_भगवा ध्वज रक्षक समूह*

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5Comments
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  1. भारत के इन विरांगना ओ को शत् शत् नमन जय हिन्द वन्देमातरम

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  2. I salute also salute to this 4 viragna n koti koti pranam and take proud for them
    Jaihind Bharat mata ki jay

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  3. नमन है उन वीर नारियों को🙏

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