UCC समान नागरिक सहिंता 🇮🇳देश मांगे एक कानून

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क्या सँविधान की आड़ में संविधान को ही धोका दिया जा रहा है भारत मे? 

सँविधान का मतलब ही होता है सबके लिए एक विधान , फिर उसी संविधान की आड़ में जाती और मजहब के नाम पर अलग अलग विधान क्यों चलाये जा रहे हैं? ये एक अत्यंत विचारणीय प्रश्न है। ...और इसका समाधान है "समान नागरिक संहिता" "UCC" 

समान नागरिक संहिता कोई नई चिड़िया नहीं है और न ही विवाद का विषय लेकिन फिर भी कुछ दुर्बुद्धिजीवी, कुछ भृष्ट राजनेता, इसका विरोध केवल मुश्लिम तुष्टिकरण के लिए करते हैं....

अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 में धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव करने की मनाही और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और निजता के संरक्षण का अधिकार लोगों को दिया गया है।जिसे लागू होना अत्यंत आवश्यक है। 

भारत का संविधान समानता के सिद्धांत पर आधारित है। लिहाजा प्रत्येक मामलों में नागरिकों और वर्गों के लिए समान नागरिक संहिता का होना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार समान नागरिक संहिता विरोधाभासी कानूनों को हटा कर राष्ट्रीय एकीकरण के लक्ष्य में मदद करेगी।

*समान नागरिक संहिता क्या है?*

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड जिसका अर्थ होता है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 के अनुसार भारत के समस्त नागरिकों के लिये एक समान नियम एवं कानून होने चाहिए।

समान नागरिक संहिता का अर्थ एक  (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। 

और यही तो असली सेक्युलरिसम (धर्मनिरपेक्षता) होगा न? फिर सोचिये ये संविधान की बातें करने वाले, ये सेक्युलरिसम के तराने गाने वाले आखिर इस UCC के नाम से बिदक क्यों जाते हैं? 

ये भले ही बिदके लेकिन हर राष्ट्रवादी भारतीय को इस कानून आई जोर शोर से मांग उठानी चाहिए और राष्ट्रवादी सरकार को इस कानून को कठोरता से लागू भी करना चाहिए ताकि सँविधान की मूल भावना का सम्मान हो, सँविधान का सम्मान हो और देश के हर नागरिक को चाहे वो किसी भी जाति, धर्म, जेंडर (स्त्री, पुरुष, ट्रांसजेंडर) का क्यों न हो।

विडंबना है की भारत में कानून धर्म के आधार पर तय किये गए हैं। हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों के व्यक्तिगत कानून हिंदू विधि से वहीं मुस्लिम तथा ईसाई धर्मों के अपने अलग व्यक्तिगत कानून हैं।जब सभी नागरिकों को हर कार्य में समानता का अधिकार है, तो क़ानून में भिन्नता क्यों? 

मुस्लिमों का कानून शरीअत पर आधारित है, (वो भी आधे अधूरे केवल उतना ही जितने में उनका फायदा हो) जबकि अन्य धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानून भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून पर आधारित हैं। अब तक गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ पर समान नागरिक संहिता लागू है।पूरे भारत में इसे लागू होना आवश्यक है।

वर्ष 1956 में हिंदू कानूनों को संहिताबद्ध कर दिया गया था, लेकिन देश के सभी नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता लागू करने का गंभीर प्रयास नहीं किया गया है।उस समय यदि यह लागू कर दिया जाता तो वर्तमान में भारत की दशा और दिशा इससे बहुत अच्छी होती। 

मुस्लिमों के मुताबिक उनके निजी कानून उनकी धार्मिक आस्था पर आधारित हैं इसलिये समान नागरिक संहिता लागू कर उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न किया जाए।जब हिन्दूओ के निजी क़ानूनों में परिवर्तन किया जा सकता है तो मुस्लिमों के क़ानून में क्यों नहीं? 

बहरहाल, केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा जोर पकड़ गई। सरकार ने 2019 में जब जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान करने वाली संविधान की धारा 370 को खत्म कर दिया तो समान नागरिक संहिता लागू किए जाने की उम्मीद भी बढ़ गई।

हम सभीको चाहिए कि UCC को समझें इसकी आवस्यकता को समझें, सबको इस बारे में जागरूक करें और सरकार पर दबाव बनाकर हर हाल में देशहित में इस कानून को लागू करवाएं

कमेंट कर अपने बहुमूल्य विचार अवश्य प्रकट करें और लेख अच्छा लगे तो इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा के जागरूक करने की कोशिश करें

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20Comments
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  1. समान नागरिकता कानून तो वर्षों पहले लगा देना चाहिए था लेकिन पूर्व के शासकों ने गलत मानसिकता प्रभाव दिखाया है अब इसे लागू करना अत्यावश्यक है ये हमारे देश के अस्तित्व का सवाल है

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  2. Yeh sheeghr lagoo kerna atyant awashyak h desh hitt m

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  3. देश हित में भारत में समान नागरिकता संहिता लागू होना ही चाहिए, जय हिन्द 🇮🇳

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  4. Ucc lagu hona chahiye des hitt me

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  5. समान नागरिकता कानून तो वर्षा पहले लगा देना चाहिए था लेकिन पूर्व के शासकों ने गलत मानसिकता प्रभाव दिखाया है अब इसे लागू करना अत्यावश्यक है ये हमारे देश के अस्तित्व का सवाल है 🇮🇳🚩

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  6. मान नागरिक संहिता कानून लागु होना ही चाहिये। एक देश एक कानून लागु करो तभी देश का भला होगा।

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  7. समान नागरिकता कानून तो वर्षा पहले लगा देना चाहिए था लेकिन पूर्व के शासकों ने गलत मानसिकता प्रभाव दिखाया है अब इसे लागू करना अत्यावश्यक है ये हमारे देश के अस्तित्व का सवाल है 🇮🇳🇮🇳

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  8. समान नागरिक नियम तत्काळ प्रभाव में लाइये, हम सब देश के साथ हैं

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  9. देशहित जो भी निर्णय लगे लीजिए

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  10. UCC को तुरंत लागू करना चाहिए एक देश में सब के लिए अलग अलग सुविधा,अधिकार क्यू एक देश एक कानून एक निशान होना आवश्यक है।
    जय हिंद

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  11. देश हित में भारत में समान नागरिकता संहिता लागू होना ही चाहिए, जय जय श्री राम 🚩

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  12. हा में सहमत हूं ।

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  13. UCC समय की मांग है।

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  14. देश हित के लिए भारत में समान नागरिकता संहिता UCC कानून लागु करना आवश्यक बन गया है। UCC समय की मांग हैं। It must be implemented in entire India. It's very important & necessary.

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  15. UCC must be passed from Loksabha and Rajsabha which is very important and necessary to implement in India.

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  16. सनातन धर्म के लिए समान नागरिक संहिता जल्दी ही लागू करना चाहिए। वंदेमातरम्। भारत माता की जय। जय हिंदू राष्ट्र।

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  17. सनातन धर्म के लिए समान नागरिक संहिता जल्दी ही लागू करना चाहिए। वंदेमातरम्। भारत माता की जय। जय हिंदू राष्ट्र।

    वंदेमातरम्

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  18. समान नागरिक संहिता ही इस देश में मुसलमानों का इलाज है हर नागरिक को केवल एक ही कानून मानना चाहिए भारत देश का

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