क्या वाकई देश संविधान से ही चल रहा है??

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 विषय विचारणीय है.. की क्या वास्तव में देश उंस सँविधान के अनुरूप चलता है जिस संविधान की देश को चलाने के लिये चुने जाने वाले नेता लेते हैं?

यदि हमारा देश सँविधान से चलता है तो सम+विधान यानी सभी के लिए एक विधान क्यों नहीं है? क्यों धर्म/मजहब के आधार पर अलग अलग विभाग अलग अलग कानून बने हैं? 

इस वीडियो को देखिये आप समझ जाएंगे कि कैसे सँविधान के आर्टिकल 26 की धज्जियां वो सरकारें उड़ाती हैं जो इसी सँविधान की शपथ लेकर संविधान के अनुरूप कार्य करने और सँविधान की अस्मिता बचाने की बात करते हैं...

भारत मे सँविधान की अवमानना करते हुए हिन्दू मंदिरों की लूट हेतु सरकारों ने कानून बना रखे हैं जो आर्टिकल 26 के अनुरूप गैरकानूनी है, और हर छोटी बात पर स्वतः संज्ञान लेने वाला हमारा माननीय सुप्रीम कोर्ट इस बात पर आज तक संज्ञान नहीं ले पाया...खैर आदरणीय अश्विनी जी ने PIL डाली है और आशा ही नहीं विश्वास है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसपर जल्द से जल्द संज्ञान लेते हुए सँविधान सम्मत निर्णय सुनाएगा

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=6530815503610467&id=2262905757068151

इसके अलावा जब अल्पसंख्यक का मानक 10%तय है तो फिर किस आधार पर मुश्लमानों को अलंख्यक माना जा रहा है और उन्हें अल्पसंख्यक के लाभ दिए जा रहे हैं?

राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए वोट बैंक की राजनीति के तहत जनता के पैसे से फ्री फ्री फ्री की हड्डी फेंकते हैं ..क्या ये संविधान के अनुरूप है?

इसके अलावा विचारणीय बात ये भी है कि संविधान बनने कस बाद भो अंग्रेजों के ऐसे काले कानून देश में लागू हैं जो संविधान की मूल भावनाओं के विरुद्ध है... 1863 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया रिलिजियस एंडोवमेंट एक्ट आज 2021 में भी चल रहा है और यह कानून संविधान के आर्टिकल 26 की धज्जियां उड़ाता है और यह अकेला कानून नहीं ऐसे 30 कानून 18 राज्यों में लागू है जो संविधान के विरुद्ध है जो इनलीगल है जो वोयड है असंवैधानिक है

और विडंबना देखिए इसी संविधान की शपथ लेकर चुन कर आती रही किसी भी सरकार ने ऐसे असंवैधानिक कानूनों को खत्म करने की पहल नहीं की

अब देश की जनता को ही संविधान की रक्षा करने के लिए आगे आना चाहिए अंग्रेजों के काले कानूनों के विरुद्ध मोर्चा खोलना चाहिए, और सबसे जरूरी कि देश की जनता को समानता के संविधान के मूलभूत अधिकार की मांग करनी चाहिए देश में जाति मजहब के नाम पर हो रहे इस भेदभाव को पूरी तरह खत्म करने के लिए हम सब को आगे आकर सरकार प्रशासन पर दबाव बनाना होगा

संविधान तथा देश की रक्षा हेतु ही अश्विनी उपाध्याय जी के मार्गदर्शन में 8 अगस्त 2021 को दिल्ली के जंतर मंतर पर सेव इंडिया मूवमेंट यानी भारत बचाओ आंदोलन की शुरुआत की जा रही है सभी देशवासी बढ़-चढ़कर जिस प्रकार भी संभव हो इस आंदोलन में अपना सहयोग दें ताकि हमारे देश का संविधान और हमारा देश सही मायने में सुरक्षित हो सके।

यदि आप भी हम नहीं जागे और हम आगे नहीं आए तो आने वाले समय में विभाजन से भी खतरनाक पीड़ा से हमें गुजारना पड़ सकता है।

वंदे मातरम

भारत माता की जय

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10Comments
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  1. संविधान का फायदा तब संभव हे जब हर एक राज्य मिलकर केन्द्र पर दबाव लाये- हिन्दी बेल्टको छोडकर भाजपा कहां हे? और जहां हे वहां भी आपसी टकराव व स्वार्थी नेता देशहित का तो काम करेंगे नहि, इधर हम मतदाता जातपात देखे बगैर वोट देते नहि, ऐसे मे अकेली केन्द्र सरकार करे तो क्या करे?

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  2. आश्विनी उपाध्यायजी के पुरुषार्थ को कोटीशः नमन ।
    जनता बढ़ चढ़ कर उनका साथ दें और इस यज्ञ मे अपनी आहुतियां दें ।

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  3. बिल्कुल जब समान नागरित संहिता लागू होगा तभी संविधान असल मे लागू होगा।

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  4. समान नागरिकता कानून तो वर्षा पहले लगा देना चाहिए था लेकिन पूर्व के शासकों ने गलत मानसिकता प्रभाव दिखाया है अब इसे लागू करना अत्यावश्यक है ये हमारे देश के अस्तित्व का सवाल है 🇮🇳🇮🇳

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  5. समान नागरिकता कानून तो वर्षा पहले लगा देना चाहिए था लेकिन पूर्व के शासकों ने गलत मानसिकता प्रभाव दिखाया है अब इसे लागू करना अत्यावश्यक है ये हमारे देश के अस्तित्व का सवाल है ��������

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