कहते हैं हिन्दू कोई धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है।
जितनी परीभाषा, उतने मत और उतने अर्थ। कई वर्षों से कई लोग अपने अपने स्तर पर लोगों को यह समझाने में लगे हैं कि हिन्दू कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की पद्धति, तरीका या कला है। हिंदुत्व को लेकर मनमानी व्याख्याओं और टिप्पणियों का दौर बहुत समय से रहा है।
हिन्दू कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन पद्धति है। जीवन जीने का तरीका है। इससे यह प्रतिध्वनित होता है कि इस्लाम, ईसाइयत, बौद्ध और जैन सभी धर्म है। धर्म अर्थात आध्यात्मिक मार्ग, मोक्ष मार्ग। धर्म अर्थात जो सबको धारण किए हुए हो। यह अस्तित्व और ईश्वर है। लेकिन हिंदुत्व तो धर्म नहीं है। जब धर्म नहीं है तो उसके कोई पैगंबर और अवतारी भी नहीं हो सकते। उसके धर्मग्रंथों को फिर धर्मग्रंथ कहना छोड़ो, उन्हें जीवन ग्रंथ कहो।
जहां तक हम सभी धर्मों के धर्मग्रंथों को पढ़ते हैं तो पता चलता है कि सभी धर्म जीवन जीने की पद्धति बताते हैं, नियम बताते हैं। फिर हिंदू धर्म कैसे धर्म नहीं हुआ? धर्म ही लोगों को जीवन जीने की पद्धति बताता है, अधर्म नहीं। क्यों संत-महात्मा गीताभवन में लोगों के समक्ष कहते हैं कि 'धर्म की जय हो-अधर्म का नाश हो'?
धर्म और जीवन कैसे एक-दूसरे से अलग हो सकते हैं, जबकि हिंदू धर्म में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थात संसार और संन्यास का मार्ग विकसित किया गया है। उक्त सिद्धांत के आधार पर ही चार आश्रम विकसित किए गए थे।
यदि यह कहा जाए कि हिन्दू धर्म है और धर्म से ही जीवन पद्धति मिलती है तो इसके खिलाफ भी तर्क जुटाए जा सकते हैं और यह कहा जाए कि हिंदुत्व धर्म नहीं जीवन पद्धति है, तो फिर इसके खिलाफ भी तर्क जुटाए जा सकते हैं। किंतु शास्त्र कहते हैं कि धर्म की बातें तर्क से परे होती हैं। बहस से परे होती हैं।
हिन्दू धर्म मत या संप्रदाय नहीं और ना ही मजबह या रिलीजन है। यह कोई कानून की किताब नहीं और ना ही जीवन को किताबी तरीके से जीने को थोपने का मार्ग है। यह सत्य को पाने का एक ऐसा मार्ग है जिसमें से कई तरह के मार्ग निकलकर एक ही जगह जाकर पुन: मिल गए हैं।
धर्म एक रहस्य है, संवेदना है, संवाद है और आत्मा की खोज है। धर्म स्वयं की खोज का नाम है। जब भी हम धर्म कहते हैं तो यह ध्वनीत होता है कि कुछ है जिसे जानना जरूरी है। कोई शक्ति है या कोई रहस्य है। धर्म है अनंत और अज्ञात में छलांग लगाना। धर्म है जन्म, मृत्यु और जीवन को जानना। 'रहस्य' यह है कि सभी आध्यात्मिक पुरुषों ने अपने-अपने तरीके से आत्मज्ञान प्राप्त करने और नैतिक रूप से जीने के मार्ग बताए थे। असल में धर्म का अर्थ सत्य, अहिंसा, न्याय, प्रेम, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मुक्ति का मार्ग माना जाता है।
हिन्दू धर्म में धर्म को एक जीवन को धारण करने, समझने और परिष्कृत करने की विधि बताया गया है। धर्म को परिभाषित करना उतना ही कठिन है जितना ईश्वर को। दुनिया के तमाम विचारकों ने -जिन्होंने धर्म पर विचार किया है, अलग-अलग परिभाषाएं दी हैं। इस नजरिए से वैदिक ऋषियों का विचार सबसे ज्यादा उपयुक्त लगता है कि सृष्टि और स्वयं के हित और विकास में किए जाने वाले सभी कर्म धर्म हैं।
अंत में हिन्दू ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो लोगों को उनके तरीके से जीने की स्वतंत्रता भी देता है और जीवन को बेहतर तरीके से जीने का मार्ग भी बताता है परंतु हिन्दू धर्म का मुख्य लक्ष्य है मोक्ष के मार्ग को बताना या उस मार्ग को खोजने में सहयोग करना, जो उपरोक्त बताए गए चार सिद्धांतों में से अंतिम है।
लेखक✍️
खोदभाई - प्रशासक समिति सदस्य
जय श्री राम
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteहिन्दू अर्थात सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जो इंसान को एक सार्थक जीवन जीने की कला सिखाता है तथा मोक्ष की ओर अग्रसर करता हैं।
ReplyDeleteअप्रतिम शब्दरचना
ReplyDeleteजय श्री राम
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तो मुस्लिम कौन सा धर्म है
ReplyDeleteसृष्टि और स्वयं के हित और विकास में किए जाने वाले सभी कर्म धर्म हैं 🚩
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteधर्म-कर्म के बिना जीवन निर्वाह सम्भव नही है
हिन्दुत्व से ही हम मोछ को प्राप्त कर सकते हैं
ReplyDeleteजय श्री राम।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
जय श्री राम
ReplyDeleteज्यादातर लोग नीम हकीम हैं...इसलिए इसको कंफ्यूज और बदनाम कर रखा है
ReplyDeleteइस सृष्टि में हिन्दू धर्म ही एक मात्र धर्म है....और तो और ये जीवन शैली पर भी प्रकाश डालता है अर्थात यह दोनों बातों का ज्ञान देता है:-
1. यह जीवन के लक्ष्य मोक्ष का भी बताता है और
2. उस मोक्ष को समाज और प्राणिमात्र के हित में, अच्छे कर्म करते हुए, आत्मिक शांति प्राप्त करते हुए, मोक्ष कैसे पाना है, यह भी बताता है
बाकी धर्म दूसरे को मारकर जिन्दा कैसे रहना है केवल ये सिखाते हैं इसलिए वे कदापि धरम नहीं हो सकते
कुछ गलत कहा हो तो कृपया मुझे सही करने की कृपा करें...धन्यवाद...जय सियाराम....गिरीश सिंगला - 9717004580
जय श्री राम ।केवल हिन्दु धर्म ही धर्म है बाकी सब उस के बच्चे है
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteजय श्री राम🚩🚩
ReplyDelete🚩🕉️जय श्री राम🕉️🚩
ReplyDeleteजय श्री राम 🙏🚩🕉️
ReplyDeleteजय श्री राम 🙏🚩
ReplyDeleteजय श्री राम
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