रामचरित मानस को जलाने वाले कौन?
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👆ये एक प्रश्न नहीं ये एक शर्म का विषय है... प्रश्न तो ये है की आखिर इतनी हिम्मत हुई कैसे की रामचरितमानस को जलाया गया?
उत्तर ये है की उन्हें पता था कि हिंदू समाज सेकुलर बोले तो नपुंशक हो चुका है और रामचरितमानस को जलाने की कोई कीमत चुकाने नहीं पड़ेगी, और दुर्भाग्य तो देखिए की खुद हिंदू ही ऐसे नराधमों का समर्थन भी कर रहे हैं, वैसे सपा की ही एक महिला नेता ने स्वामी प्रसाद को लताड़ा है और MLC चुनावों में सपा को 5 में से 1 भी सीट नहीं मिली
लेकिन मुख्य बात ये है की यदि किसी अन्य मजहब या पंथ की किताब के साथ कुछ ऐसा किया गाय होता तो क्या कीमत चुकानी पड़ती?
एक बात तो पानी की तरह साफ है की "भय बिनु होत न प्रिती" और एक बात ये भी साफ है की सेकुलरिज्म = नपुंशकता।
जब तक धर्मद्रोहियों को कीमत चुकाने का भय नहीं होगा तब तक वो खुलकर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को रौंदते रहेंगे, हिंदू शास्त्रों का घोर अपमान करने, हिंदू देवी देवताओं को अपमानित करेंगे... और जिस दिन हिंदुओं ने किया की उचित प्रतिक्रिया देना शुरू कर दी उसी दिन से पूरी दुनिया सर झुकाकर सनातन धर्म का सम्मान करना शुरू कर देगी
अहिंसा परमो धर्म के पीछे छुपा हिंदू समाज की कायरता है जो उनके विनाश का कारण बनेगी, इसलिए धर्म हिंसा तथैवच का अनुशरन करते हुए हिंदू समाज को धर्म रक्षा के लिए आगे आना होगा। धर्म की रक्षा के लिए किया गया कोई भी कार्य कभी हिंसा हो हो नहीं सकता, और यदि हिंसा है तो क्या भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण हिंसक थे?
धर्म की स्थापना एक लिए अधर्म का नाश अनिवार्य है , यदि ऐसा नहीं होता तो रावण के साथ प्रभु श्री राम युद्ध करते और न ही महाभारत होती।
आज का हिंदू समाज शास्त्रों से दूर हो चुका है इसलिए वो धर्म रक्षा की बातें सोच ही नहीं पाता।
उठो जागो और धर्म की शरण में आओ, धर्म को पहचानो उसे समझो, शास्त्रों का अध्ययन करो और धर्म मार्ग पर चलते हुए धर्म का प्रचार प्रसार तथा उसकी रक्षा करो..तभी तुम सुरक्षित रहोगे
धर्मो रक्षती रक्षितः....
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