📅वैदिक पंचांग के माह के नाम और उनका रहस्य

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 *किस किस को वैदिक पंचांग के माह के नाम याद हैं? किस किस को इन नामो का रहस्य पता है?*

 आईये जानते हैं फिर -

माह के नाम :

1. चैत्र  2. वैशाख 3. ज्येष्ठ 

4. आषाढ़  5. श्रावण 6. भाद्रपद 

7. अश्विन 8. कार्तिक 

9. मार्गशीर्ष  10. पौष 11. माघ 

12. फाल्गुन


चैत्र माह ही हमारा प्रथम माह होता है, जिस दिन ये माह आरम्भ होता है, उसे ही वैदिक सनातन नववर्ष मानते हैंl


चैत्र माह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख माह आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है, ऐसे ही बाकी महीने आते हैंl


फाल्गुन माह वैदिक पंचांग का अंतिम माह है, जो फरवरी-मार्च में आता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की समाप्ति हो जाती है, फिर अगले वर्ष चैत्र माह से पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नव-वर्ष आरम्भ होता हैl नववर्ष से ही प्रारंभ होते हैं वर्ष के प्रथम देवी नवरात्र।


हमारे समस्त वैदिक माह के नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं लेकिन इसका भी एक विशेष कारण है -


"जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस माह का नाम हुआ।" इसका कारण खगोलीय विज्ञान है।


ये कुछ इस प्रकार हैं -

1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मासl 

2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मासl 

3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मासl

4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़l 

5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मासl 

6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपदl 

7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मासl

8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मासl 

9. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मासl 

10. पुष्य नक्षत्र से पौष मासl 

11. माघा नक्षत्र से माघ मासl 

12. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मासl


एक ही नाम से दो नक्षत्र अधिक चंद्र मास के कारण होते हैं, क्यूँ कि चन्द्रमा की कालाओं के घटने बढ़ने से ही नक्षत्र बनते हैं।


अधिकमास - वैदिक सिद्धांत (वशिष्ठ ऋषि के खगोलीय ज्ञान पर आधारित) के अनुसार भारतीय हिंदू पंचांग सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है।


अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच के अंतर के संतुलन को बनाने के लिए होता है।


दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर के समन्वय के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है। इसे मल मास और पुरषोत्तम मास भी कहते हैं।

भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है।

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