🔟10 बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहिए

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 10 बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी  चाहिए

     

 *1* क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे ?  नहीं ना ?फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है ? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहिए।


 *2* किसी की मृत्यू होने पर " *RIP* " मत कहिये. RIP यानी rest in peace जो दफ़नाने वालों के लिए कहा जाता है, आप कहिये - " *ओम शांती* ", " *सदगती मिले",* अथवा *"मोक्ष प्राप्ती हो" !* आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती ! आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है !


 *3* अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा ! ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं , कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं ! 


 *4* .अपने इष्ट देवों का नाम आदर सहित लें,उनका मज़ाक न बनने दें ! 


*5* हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें ! मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह ! वह प्रार्थनागृह नहीं होते ! मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती !अन्य पूजा पद्दति में साप्ताहिक prathaana होती है जबकि हिंदू धर्म में ये नित्य कर्म है। 


*6* अपने बच्चों के जन्मदिनपर दीप बुझाके अपशकुन न करें ! अग्निदेव को न बुझाएं ! अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" ( हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं" ! ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं !


*7* कृपया "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें ! हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है ! "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था - या विज्ञान और धर्म में ! इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषीमुनी हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है  यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है !


*8* "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें ! हम हिंदूओं मे केवल धर्म और अधर्म  है ! पाप अधर्म का हिस्सा है !


*9* ध्यान के लिये 'meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें ! यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं ! 


*10* क्या आप भगवान से डरते है ? नहीं ना ? क्यों ? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं,अजन्मा, निराकार, परोपकारी, न्यायकारी और सर्वशक्तिमान है ! इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं ! भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें !! तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहिये ! 


*ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है*

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