रुद्राक्ष कैसे धारण करे?
सुवर्ण अथवा चाँदी के तार में पिरोकर बड़ी सावधानी के साथ नित्य शिखा या कानों में रुद्राक्ष धारण करना चाहिये । पुरुष यज्ञोपवीत, , हाथ, कण्ठ अथवा उदर पर भी रुद्राक्ष धारण करे तथा प्रणव के साथ पञ्चाक्षर 'ॐ नमः शिवाय'।
विद्वान् पुरुष निष्कपट भक्ति के साथ प्रसन्नतापूर्वक रुद्राक्ष की माला धारण करे । रुद्राक्ष धारण करना भगवान शंकर के साक्षात् ज्ञान का साधन है । सभी वर्ण रुद्राक्ष की माला धारण कर सकते हैं । भेद यही है कि द्विज मन्त्र से करें और शूद्र बिना मन्त्र के, रुद्राक्ष का बड़ा माहात्म्य है।
जो अपने कंठ में बत्तीस, मस्तक पर चालीस, दोनों कानों पर छः-छः, दोनों हाथों में बारह-बारह दोनों भुजाओं में सोलह-सोलह, शिखा में एक-एक तथा वक्षःस्थल पर एक सौ आठ 1 रुद्राक्षों को धारण करता है, वह स्वयं भगवान् नीलकंठ को प्रिये है।
सोलह प्रकार के रुद्राक्ष चंद्रमा की आंखों से और दस प्रकार के काले रुद्राक्ष अग्नि की आंखों से उत्पन्न माने जाते हैं। ये उनके अड़तीस भेद हैं। यदि पुरुष एक सौ आठ रुद्राक्षों की माला धारण करता है तो उसे प्रत्येक क्षण में अश्वमेध होती है,रुद्राक्ष धारण करने वाला पुरुष सदा देवताओं द्वारा सुपूजित होता है। उसे अन्त में परमगति प्राप्त हो जाती है । एक सौ आठ रुद्राक्षों की अथवा पचास एवं सत्ताईस दानों की माला बनाकर उसे धारण करे अथवा जप करे तो उसके द्वारा अनन्त फल मिलता है।
Source- DEVI BHAGAVATA PURAN