🕉️महामृत्युंजय मंत्र के आगे क्वांटम मशीन बेबस

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 *सनातनधर्म के रहस्य* 


 एक ऐसा हिन्दू संत पदम भूषण स्वामी निरंजानंद सरस्वती जिन्हें उनकी अद्भुत योग्यता व ज्ञान की वज़ह से भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पदम भूषण भी दिया गया, उसको देने के लिए भी सरकार को उनके आश्रम ही जाना पड़ा.........


 महामृत्युंजय मंत्र के आगे क्वांटम मशीन बेबस


अद्भुत दुनिया के 50 विश्वविद्यालयों के 500 वैज्ञानिक कर रहे शोध, पदमभूषण स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की मुख्य भूमिका....



कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस तो विज्ञान ने रच ली है, लेकिन चेतना को पढ़ पाना भी अभी दूर की बात है, इसकी रचना का तो प्रश्न भी नहीं उठता। चेतना को समझा अवश्य जा सकता है, भारतीय योगी-मनीषी इसका अभ्यास सदियों से करते आए हैं। 


मुंगेर, बिहार स्थित दुनिया के प्रथम योग विश्व विद्यालय में मानसिक ऊर्जा के विविध आयामों को पढ़ने के लिए उच्च स्तरीय शोध जारी है.


दुनिया के चुनिंदा 50 विश्वविद्यालयों और क्वांटम फिजिक्स पर शोध करने वाली वैश्विक शोध संस्थाओं के 500 वैज्ञानिक इस शोध पर एक साथ काम कर रहे हैं, विषय है- टेलीपोर्टेशन ऑफ क्वांटम एनर्जी, यानी मानसिक ऊर्जा का परिचालन व संप्रेषण। 


इस शोध के केंद्र में भारतीय योग व ध्यान परंपरा का नादानुसंधान अभ्यास भी है, जिसे नाद रूपी प्राण ऊर्जा यानी चेतना के मूल आधार तक पहुंचने का माध्यम माना जाता है।


बिहार योग विश्वविद्यालय के परमाचार्य पदम भूषण परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती इस शोध में मुख्य भूमिका में हैं।


महामृत्युंजय मंत्र में सर्वाधिक ऊर्जा: 57 वर्षीय स्वामी निरंजनानंद सरस्वती बताते हैं कि क्वांटम मशीन में विविध मंत्रों के मानसिक और बाह्य उच्चारण के दौरान उनसे उत्पन्न ऊर्जा को क्वांटम मशीन के माध्यम से मापा गया। 


स्वामी निरंजन बताते हैं कि इस शोध के लिए विशेष रूप से तैयार की गई क्वांटम मशीन विज्ञान जगत में अपने तरह का अनूठा यंत्र है, जिसे मुंगेर स्थित योग विश्वविद्यालय के योग रिसर्च सेंटर में लाया गया। 


इसके सम्मुख जब महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण किया गया तो इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न हुई कि इसमें लगे मीटर का कांटा अंतिम बिंदु पर पहुंचकर फड़फड़ाता रह गया। 


गति इतनी तीव्र थी कि यह मीटर यदि अर्द्धगोलाकार की जगह गोलाकार होता तो कांटा कई राउंड घूम जाता। सामूहिक उच्चारण करने पर तो स्थिति इससे भी कई गुना अधिक आंकी गई।


स्वामी कहते हैं इन तीन मंत्रों का जप प्रतिदिन सुबह उठकर और रात्रि में सोने से पहले सात-सात बार अवश्य करना चाहिये। इनके पाठ या जप से उत्पन्न ऊर्जा को मानसिक संकल्प लेकर संकल्प शक्ति में परिवर्तित कर देने से वांछित लाभ प्राप्त किया जा सकता है।


 स्वामी निरंजन बताते हैं कि यह मंत्र विज्ञान भी शोध के केंद्र में है।  प्रत्येक मंत्र के मानसिक व बाह्य उच्चारण से उत्पन्न ऊर्जा को क्वांटम मशीन के जरिये मापा गया है।

 

मानसिक संवाद, परहद संवेदन या दूरानुभूति जिसे अंग्रेजी में टेलीपैथी कहते हैं, यह विघा भारतीय योग विज्ञान का विषय रही है। 


स्वामी निरंजन कहते हैं, संभव है कि आने वाले कुछ सालों में एक ऐसा मोबाइल सेट प्रस्तुत कर दिया जाए, जिसमें न तो नंबर मिलाने की आवश्यकता होगी, न बोलने की और न ही कान लगाकर सुनने की।

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