सँविधान की आड़ में असंवैधानिक कृत्य!
▪️कहने को भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।
▪️कहने को भारत में सभी को समान अधिकार है।
▪️कहने को भारत सँविधान के अनुशार चलता है।
❗परन्तु जरा सोचिए कि क्या ये सब बातें वास्तव में सत्य हैं? यदि हाँ तो एक विषेस धर्म को इतना प्रोत्साहित क्यों किया जाता है? क्यों एक विषेस धर्म के मदरसों को जहां मजहबी शिक्षा दी जाती है उसको अनुदान दिया जाता है? क्यों अलसँख्यकों के नाम पर देश की दूसरी बड़ी आबादी जो कि लगभग 20% है उनको भर भरके सुविधाएं दी जाती हैं वो भी उनके टैक्स के पैसों से जिनके धर्म को ये हराम मानते हैं?
देश 75 सालों से संविधान की आड में असंवैधानिक तरीके से चलता आ रहा है...लेकिन इसका कारण क्या है? क्या केवल राजनेता इसके जिम्मेदार हैं या देश की जनता भी जिसने कभी देश मे हो रहे असंवैधानिक कृत्यों के विरुद्ध कठोरता से आवाज नहीं उठाई..
अब कुछ लोग करेंगे कि हमें तो ये सब पहले समझ ही नहीं आता था. पता ही नहीं चलता था.. बात सही भी है लेकिन अब पता चल गया है न तो सँगठित होकर मजबूती से आवाज उठाइये। (इस सरकार में आपको सत्य पता चल रहा है अब सत्य के विजय के लिए आवाज तो हमें ही उठानी होगी..या उसके लिए भी सरकार को ही जिम्मेदार बनाकर छोड़ देना है)
सेक्युलरिसम के नाम पर लगातार देश के बहुसंख्यक समाज पर अत्याचार होता आ रहा.. हिन्दू मंदिरों और सरकार कब्जा किये बैठी है ,उन्हें लूट रही है और दूसरी तरफ ईसाई मिशनरीयों को खुली छूट दी हुई है ताकि वो खुलकर हिन्दुओं का धर्मांतरण कर सकें और मुश्लिमों के लिये मदरसे हैं जहां उन्हें मजहबी शिक्षा दी जाती है और फिर वो लोग क्या करते हैं ये बताने की आवश्यक्ता नहीं।
तालिबान के संस्थापक दारुल उलूम देवबंद मदरसे से निकला हुवा है और पूरे विश्व के बड़े बड़े आतंकी मदरसों से ही तैयार हुए हैं..
मदरसों के तार कभी आतन्क से जुड़े पाए जाते हैं कभी मदरसों में बम-हथियार मिलते हैं कभी बच्चों के शोषण की खबरें मिलती हैं, लेकिन सरकार उन्हें अनुदान दे रही है, और जनता खामोश है.
👍अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुछ सवाल किए हैं और सँविधान के नाम पर चल रही सरकारों की पोल खोल दी है। बता दिया है की सँविधान की शपथ लेकर शाशन करने वाली सरकारें वास्तव में सँविधान का कितना सम्मान और पालन करती हैं
इलाहबाद हाई कोर्ट के सवाल सुनिये आपकी भी सायद बन्द आंखें खुल जाएगी..
👉क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है
👉क्या धार्मिकशिक्षा देने वाले मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 से प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं।
👉क्या संविधान के अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिकशिक्षा संदेश व पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं।
👉स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनुच्छेद 21 व 21ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है।
👉अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को सरकार फंड दे रही है।
👉क्या महिलाओं को मदरसों में प्रवेश पर रोक है।
कोर्ट ने आगे कहा यदि ऐसा है तो क्या यह विभेदकारी नहीं है।
इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में मांगा जवाब है कि धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए भी प्रदेश में क्या कोई शिक्षा बोर्ड है।
अब जनता की जरूरत है कि वो सतर्क रहें सँगठित रहे और अपने आंख कान खुले रखकर देश में हो रहे गलत कामों को उजागर करे और उसका पुरजोर विरोध करे तथा जो विरोध कर रहा है उसका हर सम्भव सहयोग करे
आज 5 सितंबर 2021 को प्रशासक समिति द्वारा दोपहर 3 बजे से ट्विटर पर इसी विषय मे आवाज बुलंद की जाएगी जिसमें आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
प्रशासक समिति ट्विटर ID
https://www.twitter.com/OfficialTeamPs
petty political selfisf goals divert the scarce development funds as they do not live the motherland...
ReplyDeleteसविंधान के अनुसार सब को बराबर का हक मिलना चाहिए न कि जाति विशेष केआधार
ReplyDeleteकेंद्र सरकार और राज्यों को इस मामले पर तुरंत कार्रवाई कर यह दशकों से चले आ रहे पक्षपाती काम को रोकना होगा। अन्यथा अब अन्य समाज शांत नहीं बैठने वाला है। यदि इस पर भारतीय जनमानस को न्याय नहीं मिला तो भाजपा सहित अन्य दलों को भी इसका नुकसान सहना होगा।जय श्री राम 🙏
ReplyDeleteयह कैसा संविधान है जिसमें सिर्फ हिंन्दूओं को ही प्रताड़ित किया जाता है, सभी धर्मों को समान न्याय मिलना चाहिए ।
ReplyDeleteएक देश एक न्यायप्रणाली हो, सर्व धर्म समभाव के हिसाब से सभी को एकही कानून लागू हो । और जो देश विरोधी बात करे उसे कडी से कडी सजा देने का प्रावधान हो ।
Yes ek desh ek kanon ek adhikar
ReplyDeleteWe are cheated
ReplyDeleteOur money is not utilised for our country
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