*84 लाख योनियों के प्रकार और उनकी गति
भारतीय हिंदू धर्मपुराणों के अनुसार विश्ववसुधा में कुल 84 लाख योनियां बताई गई है। इन में सबसे श्रेष्ठ योनी मनुष्य योनी मानी जाती है, क्योंकि मनुष्य योनी में अपने शुभ-अशुभ कर्मों के कारण पुनर्जन्म जन्म की व्यवस्था भी है। कहा जाता है जो अच्छे कर्म करते हैं उन्हे मानव जीवन मिलता है, जानें 84 लाख योनियों में कौन-कौन सी योनी के जीव है।
इन योनियों को धर्म के जानकार आचार्यों ने दो भागों में बाटां गया है। पहला- योनिज और दूसरा आयोनिज।
1- ऐसे जीव जो 2 जीवों के संयोग से उत्पन्न होते हैं वे योनिज कहे जाते हैं।
2- ऐसे जीव जो अपने आप ही अमीबा की तरह विकसित होते हैं उन्हें आयोनिज कहा गया।
3- इसके अतिरिक्त स्थूल रूप से प्राणियों को भी 3 भागों में बांटा गया है-
1- जलचर- जल में रहने वाले प्राणी।
2- थलचर- पृथ्वी पर रहने वाले प्राणी।
3- नभचर- आकाश में विहार करने वाले प्राणी।
उक्त 3 प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत 84 लाख योनियों में प्रारंभ में निम्न 4 वर्गों में बांटा जा सकता है।
1 - जरायुज- माता के गर्भ से जन्म लेने वाले मनुष्य, पशु जरायुज कहलाते हैं।
2- अंडज- अंडों से उत्पन्न होने वाले पप्राणी।
3- स्वदेज- मल-मूत्र, पसीने आदि से उत्पन्न क्षुद्र जंतु।
4- उदि्भज: पृथ्वी से उत्पन्न प्राणी।
कुल 84 लाख।
- पानी के जीव-जंतु- 9 लाख,
- पेड़-पौधे- 20 लाख
- कीड़े-मकौड़े- 11 लाख
- पक्षी- 10 लाख
- पशु- 30 लाख
- देवता-मनुष्य आदि- 4 लाखकुल योनियां- 84 लाख।
'प्राचीन भारत में विज्ञान और शिल्प' ग्रंथ में शरीर रचना के आधार पर प्राणियों का वर्गीकरण किया गया है जिसके अनुसार,
1- एक शफ (एक खुर वाले पशु)
2- द्विशफ (दो खुर वाले पशु)
3- पंच अंगुल (पांच अंगुली) नखों (पंजों) वाले पशु।
इस प्रकार शास्त्रों में कुल 84 लाख योनियों का वर्णन मिलता है।
Everything is good
ReplyDeleteबहुत सही जानकरी हैं 🙏😊
ReplyDeleteYe jaankari sirf Sanatan Dharam hi de sakta hai. Majhabiyo ko eisi jaankariyo se koi matlab nahi hai.
ReplyDeleteयही हमारे सत्य सनातन वैदिक धर्म की विशेषता है।
ReplyDelete🚩🕉🔱हर हर महादेव 🔱🕉🚩
🚩🚩जय श्री राम 🚩🚩
🚩☀️जय श्री💫कृष्ण☀️🚩
🚩⚜️जय माता दी ⚜️🚩
Surprised to find such eloquent information. Kudos to great Hinduism
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