कश्मीर के बाद अब मेघालय फाइल्स ~ जलता हिंदू, मरता हिंदू

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कश्मीर के बाद अब "मेघालय फाइल्स"



कश्मीर से भी दर्दनाक है शिलांग (मेघालय) के हिंदुओं की कहानी, जो आजतक मेघालय से बाहर नहीं आ पा रही और मेघालय के हिंदू घुट घुट कर जीने को या ये कहें मरने को मजबूत हैं।

भारत में ही भारत के बहुसंख्य समाज के लोग ऐसी जिंदगी जी रहे हैं जो जानवरों से भी बदतर है। खुलेआम उन्हें मारा जाता है, लूटा जाता है, जिंदा जलाया जाता है, हिंदू महिलाओं की सरे राह इज्जत लूट ली जाती है।

जो बातें हमने कश्मीर में सुनी वही दर्द भारत के शिलांग में रह रहे हिंदुओं का भी है, लेकिन आज भी वो दर्द केवल शिलांग के हिंदुओं तक ही रुका हुवा है , कोई उस पीड़ा को बांटने वाला नहीं, कोई उनकी आवाज उठाने वाला नहीं।

लेकिन अब जब थोड़िसी आवाज बाहर आई है तो इसे हर हिंदू तक पहुंचाना है, इसे आगे बढ़ाना है और सरकार तथा प्रशासन तक इस आवाज को पहुंचाकर हमारे हिंदू भाई -बहनों को न्याय दिलाना है, हमें कोशिश करनी होगी, हमें उनकी आवाज बनकर उन्हें न्याय दिलाने हेतु आगे आना होगा

अब हम सोशल मीडिया के जागरूक हिंदू ,मेघालय के हिंदुओं की आवाज बनेंगे और हमारे हिंदुओं को मिशनरियों की प्रताड़ना से आजादी दिलवाने के लिए मेहनत करेंगे, हम उन्हें न्याय दिलवाने के लिए आवाज उठाएंगे

शिलांग में 1979 से हिंदुओं पर अनवरत अत्याचार हो रहे हैं, जैसे कश्मीर में जो हाल गिरिजा टिक्कू का हुवा था (ब्लातकार कर शरीर को लड़की काटने वाली मशीन से काट दिया गया था) उससे बुरा हाल मेघालय में हिंदू महिला गौरी डे का हुवा उनका उनके पति के सामने ब्लातकार किया गया फिर उनके प्राइवेट पार्ट में बंबू इंसर्ट करके उन्हें तड़पा तड़पकर मारा गया।


छोटे छोटे बच्चों को भी माता पिता के सामने मौत के घाट उतारा गया, हिंदू मंदिर तोड़े गए, आग के हवाले किए गए,  हिंदुओं को घरों में जिंदा जला दिया गया।

आज भी ऐसा हाल है की राह चलते हिंदुओं को मारा जाता है, और शाम को 7:00 बजे बाद हिंदू घरों में कैद हो जाते हैं क्योंकि उन्हें पता है यदि वह घरों से बाहर निकले तो बाहर घूम रहे क्रिश्चियन उन पर हमला करेंगे अपने एंजॉयमेंट के लिए उन्हें मारेंगे और फिर वह वापस जिंदा घर लौट भी पाएंगे या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं

मेघालय में मिशनरियों द्वारा रैलियां निकाली जाती है और कहने को इन रैलियों का उद्देश्य कुछ और होता है परंतु रैलियों की आड़ में हिंदुओं पर हमले किए जाते हैं, रैली के बीच में जो भी हिंदू दिखता है सड़कों पर, सड़क किनारे या गाड़ी चलाते हुए बाइक चलाते हुए उन पर रैली में चल रहे क्रिस्चनों द्वारा हमला कर दिया जाता है और उन्हें मारा-पीटा जाता है।


जिस प्रकार कश्मीर में हिंदुओं को चेताया जाता था किया तो कन्वर्ट हो जाओ या भाग जाओ या मारे जाओ उसी प्रकार ईसाई मिशनरियों द्वारा मेघालय के हिंदुओं को कहा जाता है कि या तो कन्वर्ट हो जाओ या भाग जाओ या मारे जाओ। कश्मीर के कुछ हिंदू तो फिर भी भागकर अपनी जान बचा पाए लेकिन यदि मेघालय में मिशनरियों द्वारा जेनोसाइड किया गया तो मेघालय के हिंदुओं के पास बचकर भागने के भी कोई रास्ते शायद ही हो।


मेघालय में हिंदुओं पर होते हुए इन अत्याचारों पर ना तो वहां के नेता कुछ बोलते हैं ना कोई न्यूज़ चैनल ना समाचार पत्र उल्टा हिंदुओं पर यदि कोई अत्याचार होता है तो यह सब मिलकर उसे वही दबा देते हैं। जब भी हिंदुओं पर ईसाईयों द्वारा हमले होते हैं तो अपराधियों को सरकारी तंत्र द्वारा बचाया जाता है उन्हें सजा नहीं होती।


यदि किसी झड़प या लड़ाई की खबर मेघालय से बाहर आती भी है तो उसे जनजाति है और गैर जनजातीय समुदायों के बीच की झड़प का नाम दिया जाता है जबकि वास्तव में वहां जो भी कुछ चल रहा है जो भी दंगे होते हैं जो भी मारपीट होती है वह सब हिंदू वर्सेस ईसाई है जिसमें हिंदू हर बार प्रताड़ित होते हैं पीड़ित होते हैं लेकिन उन्हें ना बचाने वाला कोई होता है ना कोई उन्हें न्याय दिलाने वाला होता है क्योंकि मेघालय में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और ईसाई लगभग 75% है।


लेकिन अब जब आवाज बाहर निकली है जब सच्चाई थोड़ी सी बाहर आई है तो जरूरत है कि पूरे देश के हिंदू एकजुट हो और मेघालय के हिंदुओं को बचाने के लिए उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरे देश में आवाज उठाएं और केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं कि जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं वहां के हिंदुओं को सुरक्षा दी जाए उन्हें अल्पसंख्यक घोषित किया जाए और जरूरत पड़ने पर उन्हें केंद्र से सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। हिंदुओं को उनके मूलभूत समय धानी का अधिकार मिलने चाहिए जो उनसे छीने जा रहे हैं उनसे उनका जीने का अधिकार छीना जा रहा है उनसे उनका पूजा करने का अपने धर्म का पालन करने का अधिकार छीना जा रहा है।


क्या यही है सेक्युलरिज्म क्या यही है संविधान का अनुपालन? जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हुआ वहां उससे उसके सारे अधिकार छीन लिए जाते हैं उन्हें न जीने दिया जाता है ना अपने धर्म का पालन करने दिया जाता है यहां तक कि हिंदू बच्चियों को हिंदू माताओं बहनों को एक डर के माहौल में जीना पड़ता है कि ना जाने कब कोई अधर्मी उनके साथ दुष्कर्म कर देगा।


अब हमें समझ जाना चाहिए कि जहां भी हम आपस में बटे या अल्पसंख्यक हुए वहां हमसे हमारा जीने का अधिकार छीन लिया जाता है। इसलिए पूरे विश्व के हिंदुओं को जाति, वर्ण, क्षेत्र, भाषा इन सब से ऊपर उठकर एक होना होगा, संगठित होना होगा और
 सभी हिंदुओं के लिए मिलकर आवाज उठानी होगी, सब के अधिकारों की रक्षा करनी होगी, सब को न्याय दिलाने के लिए एक साथ आना होगा और धर्म द्रोहियों से हम सबको संगठित होकर लड़ना होगा अन्यथा हम अपना अस्तित्व खो बैठेंगे।



सभी से निवेदन है कि इस ब्लॉग को अधिक से अधिक शेयर करें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं और हो सके तो इस ब्लॉग के लिंक को ट्विटर के माध्यम से प्रधानमंत्री जी गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति जी को टैग करके ट्वीट अवस्य करें 👇 कुछ फोटो और वीडियो जो मेघालय के हिंदुओं का दर्द बता सके वह ब्लॉक के साथ अटैच किए जा रहे हैं













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