थोड़ी सी भी जानकारी मीडिया की रखने वाला व्यक्ति बखूबी जानता है कि भारत का मीडिया किस प्रकार कार्य करता है संविधान का चौथा स्तंभ कहने वाला मीडिया किस तरह पैसों के लिए बिक जाता है और कैसे एजेंडों को रखता है।
ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया संत रविदास जी की जयंती पर मोहन भागवत जी के भाषण का गलत भाषांतरण करके उनके व्यक्तव्य को जातिवाद के घेरे में लेने की मीडिया ने कोशिश की लेकिन जब इसका विरोध हुआ तो मीडिया ने माफी मांगने की नौटंकी करी।
👉🚩संघ प्रमुख ने नहीं लिया ब्राह्मण जाति का नाम
👉🔊संत रविदास के हवाले से शाश्वत धर्म का अर्थ समझा रहे थे सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी,
😡मीडिया ने मराठी का किया गलत अनुवाद। गलतियाँ (वास्तव में ये गलती नहीं एक मीडिया का दुष्चक्र था) करने वालों में सबसे पहले ANI और ‘आज तक’ रहे शामिल।
🤷♂️🚩 भारत वासियों को खासकर सनातनी हिंदुओं को सावधान रहना होगा 2024 तक ऐसे ऐसे ही प्रकरण देखने को मिलेंगे। अभी सचेत रहने की जरूरत है। भ्रामक प्रचार प्रसार होगा वामपंथी के द्वारा। इसलिए आप जन बातों का पुष्टि किये बिना कोई प्रतिक्रिया न दे।
मीडिया ने पहले भी ऐसे बहुत सारे कांड कर रखे हैं जिसने हिंदू समाज को बहुत क्षति पहुंचाई है, संतो को बदनाम करना धार्मिक रीति-रिवाजों का अपमान करना यह सब मीडिया का शुरू से ही काम रहा है