नाभी का जीवन से अटूट संबंध

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नाभि का जीवन मे शुरू से लेकर अंत तक प्राकृतिक संबंध...


गर्भ की उत्पत्ति नाभि के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुड़ी हुई नाड़ी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है।


गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है।


नाभी के द्वारा सभी नसों का जुड़ाव गर्भ के साथ ही शुरू हो जाता है। इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है।


नाभि के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है। जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती हैं।


हमारी नाभि को मालूम रहता है कि हमारी कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है, इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।


जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है, तब हम हींग और पानी या तेल का मिश्रण उसके पेट और नाभि के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।


नाभि में गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।


🔸नाभि में तेल लगाने के लाभ:-

आँखों का शुष्क हो जाना:-

नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुद्ध घी और नारियल के तेल नाभि में डालें और नाभि के आसपास डेढ़ इंच गोलाई में फैला दे।


घुटने के दर्द में उपाय:-

सोने  से पहले तीन से सात बूंद अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ़ इंच में फैला दें।


शरीर में कम्पन तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय:-

रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों का तेल, नाभि में डालें और उसके चारों ओर डेढ़ इंच में फैला दें।


मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-

नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।


🔸नाभि में देशी गाय का घी लगाने के लाभ:-

🔹नाभि में देशी गाय का घी लगाने से नज़र बढ़ती है, आखों की समस्या नही होती।


🔹नाभि में देशी गाय का घी लगाने से ओंठ नही फटते।


🔹नाभि में देशी गाय का घी लगाने से चेहरे पर चमक आती है।


ये कुछ नुस्खे हैं लेकिन नाभि के अद्भुत मेडिकल फायदे भी हैं।


स्वस्थ रहें सुखी रहें 

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