308 साल बाद इस्लामपुर जगदीशपुर में बदल गया
बात सन् 1715 की है।
जगदीशपुर के राजा देवरा चौहान का नाम पूरे भोपाल में होने लगा था। धीरे-धीरे दोस्त खान तक बात पहुँची और उसने दोस्ती का षड्यंत्र रचा। इसके बाद जगदीशपुर के राजा के आगे मित्रता का हाथ बढ़ाया गया, फिर उन्हें बेस नदी के किनारे भोज पर निमंत्रण दिया गया।
जब राजा ने ये निमंत्रण स्वीकारा तो दोनों तरफ के 16-16 लोग बेस नदी के किनारे भोज पर मिले। खाना आरंभ हुआ तभी दोस्त मोहम्मद खान पान खाने के बहाने वहाँ से निकला और टेंट काटकर उन सभी लोगों का गला रेत डाला जो वहाँ बैठकर भोज कर रहे थे। इस तरह दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर कब्जा किया और उसका नाम इस्लामनगर कर दिया गया।
कुछ लोग ऐसे क्रूर दोस्त मोहम्मद खान को भोपाल का निर्माता बताते हैं। वहाँ के ऐतिहासिक धरोहरों का श्रेय उसको देते हैं, मगर हकीकत क्या है ये मात्र हलाली नदी और इस्लाम नगर जैसे नामों के इतिहास से पता किया जा सकता है। समय के साथ इसी इस्लाम नगर को जगदीशपुर बनाने की माँगे हमेशा उठीं क्योंकि लोगों ने कभी भुलाया ही नहीं कि किस प्रकार हिंदुओं के कत्लेआम के बाद गाँव का नया नामकरण हुआ।
लोगों को जितना जगदीशपुर के इस्लामनगर बनने की कहानी के बारे में पता चलता था उतना ही वह इस बात को कहते थे कि जल्द से जल्द ग्राम का नाम बदला जाना चाहिए। तमाम प्रयासों के बाद 308 साल बाद ये संभव हो पाया कि जगदीशपुर दोबारा जगदीशपुर बना।
यह गांव भोपाल से 14 किलोमीटर दूर है
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