🙏 नमस्कार दोस्तों यह ब्लॉग अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है इस ब्लॉग में हम आपको बिल्कुल विस्तार से यह बताएंगे कि आखिर क्यों अंग्रेजी त्योहार जैसे क्रिसमस या अंग्रेजी नववर्ष को गुलामी का परिचायक कहा जाता है
👆 इसके पीछे के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जाइए कहे तक हम इस ब्लॉग के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे
🙏सभी धर्म और राष्ट्र प्रेमी साथियों से निवेदन है इस ब्लॉग को बिल्कुल ध्यान से पूरा पढ़ें, समझें और इसे इतना शेयर करें कि आपका कोई जान पहचान वाला कोई भी मित्र या कोई भी कोई भी परिचित या कोई अनजान भी इस ब्लॉक से अछूता न रह जाए और अंग्रेजी मानसिक गुलामी को समझकर उसकी बेड़ियां तोड़ सके। अब समय आ गया है जब देश को मानसिक रूप से भी आजाद करवाना होगा।
सबसे पहले तो एक आधिकारिक तथ्य आपको बताएंगे जिससे आप समझ जाएंगे कि कैसे भारत को नाम के लिए आजाद तो किया गया लेकिन भारत की मानसिकता को गुलाम बनाए रखने के लिए षडयंत्र रचे गए और सफल भी हुए, जिसका परिणाम है की आज भी अधिकतर कथित आधुनिक भारतीय वास्तु में मानसिक रूप से गुलाम हैं
ये एक वीडियो है जिसमें ये बात साफ है की कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी ने अंग्रेजी कैलेंडर को बेकार बताकर हिंदू पंचांग को अनुमोदित किया, लेकिन गुलाम तलवे चाटने वालों ने शोध की उपेक्षा की और अंग्रेजी कैलेंडर को हो भारतवासियों के सर पर थोंप दिया।
इस वीडियो को देखने के बाद आप समझ जाएंगे की कैसे हमें आज होने के बाद भी गुलाम बनाए रखा गया, अगर समझ गए तो अब आजाद होने की चेष्ठा हमें करनी होगी।..अब ये एक और 45 सेकंड का वीडियो देखिए जिसमें सुधांशु त्रिवेदी जी ने अंग्रेजी कैलेंडर का काला चिट्ठा खोल दिया
इस वीडियो के बाद आप ये समझ जाएंगे की जो कैलेंडर हम फॉलो कर रहे हैं वो ना ऐतिहासिक रूप से सही है, ना उसका कोई वैज्ञानिक आधार है और ना ही इसकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि। तो ऐसी वाहियात अतार्किक चीज को फॉलो करने वाले हम क्या समझदार हुए? और चलो फॉलो कर रहे हैं तो ठीक है लेकिन नया साल ऐसे सेलिब्रेट कर रहे हैं जैसे बाप - दादाओं ने गुलामी करने के संस्कार दिए हों, और तो और हम समझ रहे हैं की इन कथित त्योंहारों के पीछे हमारी संस्कृति का विनाश छुपा है, युवाओं की बरबादी छुपी है, समाज का अहित छुपा है फिर भी.....इन्हें घसीट रहे हैं....
अब एक और महत्वपूर्ण बात समझनी होगी की ईसाई मिशनरियों का इतिहास रहा है जिससे साफ पता चलता है की उनका उद्देश्य केवल ईसाइयत फैलाना है और ईसाइयत फैलाने के लिए अन्य धर्मों को खत्म करना ही होगा जो कार्य ईसाई मिशनरिया लगातार कर रही हैं और क्रिसमस तथा अंग्रेजी नया साल इनके मुख्य हथियार हैं, जिनके माध्यम से ये लोगों को मानसिक गुलाम बनाते हैं और फिर लोगों को कन्वर्ट करना आसान हो जाता है।
स्कूल , कॉलेज आदि की भी मिशनरियां पूरी तरह सक्रिय हैं, कॉन्वेंट तो कॉन्वेंट अन्य प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में भी मानसिक गुलामी के प्रतीक गहरी जड़ें जमा चुके हैं। क्रिसमस, न्यू ईयर के अलावा रोज डे, वेलेंटाइन डे, फ्रेंडशिप डे, चॉकलेट डे, किस डे, आदि जैसे कई सारे षड्यंत्र फैले हुए हैं जो हमारे युवाओं को मतिभृष्ट और कू संस्कारी बना रहे हैं जिसका समाज को भयानक दुष्परिणाम भुगतना उड़ता है।
दिल्ली में 1 जनवरी को जो अमानवीय शर्मशार करने वाला हाड़ा हुवा वो भी तो इसी न्यू ईयर के नशे में हुवा, नया साल मनाने वाले लड़कों ने दारू पीकर गाड़ी चलाई और एक युवा लड़की की बड़ी बेरहमी से नशे की हालत में जान ले ली। इस घटना से ये भी साफ होता है की गुलाम कोई भी बने, कू संस्कारी कोई भी हो लेकिन परिणाम पूरे समाज को भुगतने पड़ते हैं। इसलिए समस्त समाज की जवाबदेही है की वो मिलकर इन कुरीतियों से लड़े, जागरूक होने के साथ साथ सबको जागरूक करे और समाज को मानसिक गुलामी के इस कैंसर से आजाद कराए
अब एक वीडियो लिंक दे रहे हैं जो आप सभिको भेज सकते हैं ताकि लोग इस मानसिक गुलामी से बाहर निकल सकें और अगली बार से किसी भी मिशनरी के त्योंहार आदि की बधाई देकर, या उन्हें मानकर गुलामी का परिचय ना दें। 👇👇👇 शेयर करें और समाज को मासिक गुलामी से आजाद कराने की इस मुहिम में सहयोगी बनें