🌿जागो हिन्दू जागो

0

हिंदुओं की सोच और जीवन बदलने वाला ब्लॉग 

जागो हिन्दूओ जागो सङयत्र को पहचानिए

हिंदू अपनी खेती-बाड़ी और मुख्य व्यवसाय छोड़ रहें हैं केवल नौकरी के लिए।

हिंदू कृर्षि से दूर होता जा रहा है और फ्लैट कल्चर में फंसता जा रहा है।

देश की आजादी से पहले देश‌ का ९०% हिंदू खेती करता था और सभी हिन्दुओं के पूर्वज जमीन से जुड़े हुए थे।

आज हिंदू बागवानी से दूर होता जा रहा है, और हिंदुओं के बच्चों को सब्जियों के पौधों की पहचान भी नहीं है, हिंदू अपनी जीविका के लिए नौकरी और भोजन के लिए ठेली वालों पर निर्भर हो गया है।

मंहगाई का रोना रो रहा हिंदू आज इतना कमजोर हो चुका है कि १०० गज में बागवानी करने की भी उसकी हिम्मत नहीं रह गयी है।

हिंदू ७० लाख का फ्लैट ले लेगा और २०० गज में कोठी बना लेगा लेकिन घर की छत और घर के आसपास बागवानी करने को वह तैयार नहीं।

हिंदू अपने गांव से दूर होता जा रहा है, और कैरियर बनाने और नौकरी के चक्कर में महानगरों की झुग्गी झोपड़ियों और कस्बों और फ्लैटों में सिमटता जा रहा है।

एक समय था सभी हिन्दुओं के घर में गाय भैंस आदि पशु होते थे आज दूध के लिए भी दूसरों पर निर्भर होना पड़ रहा है।

संयुक्त परिवार हिंदुओं के समाप्त होते जा रहे हैं।

कृर्षि हिंदुओं का मूल‌ व्यवसाय है और वही धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है।

हिंदुओं से निवेदन है कि दो से अधिक बच्चे आप पैदा नहीं कर रहे हो इसलिए कोठियां बड़ी मत बनाओ बल्कि घर छोटा बनाओ और घर के आसपास इतनी जगह अवश्य रखो जिससे बच्चों को कृर्षि और गांव का वातावरण दिया जा सके।

बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार दें , बच्चों को सामाजिक बनाने का प्रयास करें।

हिंदुओं को अपने मूल व्यवसाय खेती को भी डिजिटल करना होगा और बच्चों को फसलों का खेत खलिहान का भी ज्ञान देना होगा।

बच्चों के हाथों से घर के आसपास पेड़ लगवाएं और उन्हें गांव के भी कल्चर से जोडें।

बच्चों को यदि बचाना है तो नशे से बचाएं।

शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को संस्कार दें और उन्हें टीवी और सेल फोन का डिब्बा बनाकर ना छोड़ दें।

हिंदुओं उठो जागो और अपने बच्चों के भीतर आत्मविश्वास भरो 

अपने बच्चों को कर्मठ बनाओ और उनको ज़िम्मेदारी देना सीखो 

मोह माया में पड़कर कभी बच्चों का कल्याण नहीं होता उनको घर से बाहर की दुनिया भी दिखाओ और स्वयं एक गुरु बनकर बच्चों का मार्गदर्शन करो।


जागो हिन्दूओ जागो


आज हम हैं, कल नहीं रहेंगे

हमारी पीढ़ियां आती-जाती रहेंगी।


         आपका आने वाला 'कल' इस बात पर ही निर्भर करता है, कि आप स्वयं 'आज' क्या करते हो


Post a Comment

0Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !