♦️आज की कहानी♦️
🚩बालक की सोच🚩
बड़े प्यार के साथ माँ ने अपने पुत्र से कहा – बेटा ये लो दो टुकड़े मिठाई के हैं | इनमें से यह बड़ा टुकड़ा तू स्वयं खा लेना और छोटा टुकड़ा अपने साथी को दे देना |
अच्छा माँ ! कह बालक दोनों टुकड़े लेकर घर से बाहर आ गया | वह साथी को मिठाई का बड़ा टुकड़ा देकर स्वयं छोटा खाने लगा | माँ सब खिड़की में से देख रही थी |
उसने आवाज देकर बालक को बुलाया और बोली – अरे क्यों रे ! मैंने तुझसे बड़ा टुकड़ा खाने और छोटा उस बच्चे को देने के लिए कहा था परंतु तू छोटा स्वयं खाकर बड़ा उसे क्यों दिया ?
बालक सहज बोली में बोला – माँ दूसरों को अधिक देने और अपने लिए कम से कम लेने में मुझे मालूम नहीं क्यों अधिक आनंद आता है | वह बालक था “बाल गंगाधर तिलक” |
माँ गंभीर हो गई | माँ बहुत देर विचार करती रही – बालक की इन उदार भावनाओं के संबंध में ! सचमुच यहीं मानवीय आदर्श हैं और इसी में विश्व की शांति की, एकता की सारी संभावनाएँ निर्भर हैं |
मनुष्य अपने लिए कम चाहे और दूसरों को अधिक देने का प्रयत्न करें तो समस्त संघर्षों की समाप्ति और स्नेह, सौजन्य की स्वर्गीय परिस्थितियाँ सहज हीं उत्पन्न हो सकती हैं।
👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
जुड़िए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से (प्रशासक समिति®️✊🚩(रजि. एकात्कित सोशल वेलफेयर सोसाइटी
1️⃣
https://chat.whatsapp.com/K34Ou6Ybmco9Mr17KbdFvw
2️⃣
https://chat.whatsapp.com/LAHTlbRv4Li4Wn89xENDUw
🎯अगर कोई व्हाट्सएप मैं सदस्य संख्या पूर्ण हो गई हो तो आप दूसरे नंबर के व्हाट्सएप पर जुड़ सकते हैं दोनों ही व्हाट्सएप में कहानियां एक जैसी ही आती है
धर्म जागरण के पावन कार्य में हमारा सहयोग करे🚩
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🪙👇अर्थ सहयोग✊🔗QR CODE
https://t.co/xudJkojxJ7
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌹🙏🏻🚩 हरी ॐ 🚩🙏🏻🌹
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🙏🙏
प्रशासक समिति®️✊🚩 परिवार